अब ऑनलाइन ही करनी होगी पढ़ाई
- राज्यपाल ने देश विदेश के कई विशेषज्ञों के साथ किया मंथन
(लखनऊ/VMN) कोविड-19 महामारी से पूरा विश्व प्रभावित है। संक्रमण के फैलाव से बचने के लिए सरकारें लॉक डाउन जैसे कठोर कदम उठाने को भी मजबूर हुईं। इससे न केवल आर्थिक बल्कि शिक्षण एवं प्रशिक्षण कार्य भी संकट में पड़ गया है। विद्यार्थियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालययों ने लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से ऑनलाइन लर्निंग को उपकरण के तौर पर बखूबी प्रयोग किया। बावजूद इसके शिक्षण व्यवस्था पर खासा प्रभाव पड़ा। यह एक विश्व स्तरीय चिंतन का विषय है कि शिक्षा कार्य कैसे सुचारु रूप से संचालित किया जाए। इन्ही बातों को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल के साथ कई विद्वान वेबिनार में शामिल हुए और भविष्य की संभावनाओं पर मंथन किया।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विवि के कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक की अध्यक्षता में “कोविड-19: उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के नए आयाम” विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबनार का आयोजन हुआ। राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने बतौर मुख्य अतिथि शामिल होकर उन्होंने कहा कि ऑनलाइन लर्निंग के माध्यम से इस कठिन समय में भी पठन-पठान के कार्य को सुचारु रूप से सम्पादित किया गया है। कोविड-19 महामारी के दौर में शिक्षा व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए एक वैश्विक माडल तैयार करने की आवश्यकता है, जिससे विद्यार्थियों को सहज और सुरक्षित शिक्षा प्रणाली मुहैया करवाई जा सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा के चार स्तम्भ हैं, जिनमें ज्ञानयोग, कर्मयोग, सहयोग और आत्मयोग शामिल हैं। वर्तमान में इन स्तम्भों को चरितार्थ करने का सही समय है। उहोंने कहा कि धीरे-धीरे विवि एवं संस्थानों के परिसर में अध्यापन, परीक्षा एवं मूल्यांकन का कार्य प्रारंभ किया जायेगा, किन्तु सामाजिक एवं भौतिक दूरी एवं अन्य बचाव उपायों को ध्यान में रखते हुए।
ऐसे में लम्बे समय तक अध्ययन-अध्यापन की प्रक्रिया प्रभावित होती रहेगी। हमें इस सम्बन्ध में एक व्यापक रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है, जो शिक्षण कार्य को निर्बाध गति प्रदान कर सके। उन्होंने कहा कि एकेटीयू के द्वारा लॉकडाउन होने के बावजूद भी ईआरपी के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा अनवरत रूप से प्रदान की जा रही है। साथ ही शोध एवं नवाचार भी लगातार जारी हैं। उन्होंने कहा कि कुलपति प्रो विनय कुमार पाठक द्वारा कोविड-19 की महामारी के समय एजुकेशन सिस्टम को ऑनलाइन करने में महती भूमिका निभाई है, जिससे एलएमएस के माध्यम से ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग को गति मिल सकी है। उन्होंने कहा यह वेबनार बहुत ही प्रासंगिक है, इस वेबनार के माध्यम से आने वाले सुझाव प्रदेश की उच्च एवं तकनीकी शिक्षा को नयी दिशा प्रदान करेंगे।
इस मौके पर प्रो सतीश के त्रिपाठी, प्रेसिडेंट यूनिवर्सिटी ऑफ बफैलो USA ने कहा कि नामांकन प्रक्रिया और पाठ्यक्रम को अध्यापन एवं परीक्षा की प्रक्रिया पर प्रभाव पड़ेगा। यह प्रभाव वर्तमान सत्र के साथ अगले सत्र में भी बना रहेगा। तो ऐसे में हमें ऑनलाइन इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाना होगा।
प्रो अजय कपूर, प्रो-वाइस चांसलर स्विनबर्न यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी Australia ने कहा हमें वर्चुअल क्लास रूम, ई-लर्निंग मटेरियल और लाइव ब्लॉग जैसे कार्य करने होंगे। उन्होंने कहा कि अध्यापक और स्टूडेंट के बीच लाइव डिस्कशन की अवधारण को भी मूर्तरूप प्रदान करना चाहिए।
प्रो रिचर्ड फोल्लेट, डिप्टी प्रो वाइस चांसलर इन्टरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स UK ने ओपन और डिस्टेंस लर्निंग को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म को भी उपकरण के तौर पर प्रयोग करना चाहिए।
प्रो थामस स्टोन, प्राचार्य टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी डबलिन Ireland ने कहा कि हमें अपनी मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव करने होंगे। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक वर्ष 2020-2021 के लिए अकादमिक योजना में ऑनलाइन टीचिंग-लर्निंग के क्रेडिट्स को शामिल करने की पहल करनी होगी।
वेबनार में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा राधा एस चौहान, एसजी धांडे पूर्व निदेशक आईआईटी कानपुर, प्रो थामस स्टोन प्राचार्य टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी डबलिन आयरलैंड, प्रो स्टेफेन ओडेनवाल्ड एवं प्रो-वाइस डीन चेम्नित्ज यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी जर्मनी, प्रो एमपी पुनिया वाइस चेयरमैन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, प्रो रिचर्ड फोल्लेट डिप्टी प्रो वाइस चांसलर इन्टरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स यूके बतौर वक्ता प्रतिभाग शामिल हुए।