आकस्मिक आपदाओं से बचाएंगीं प्रथम स्वरूपा माँ शैलपुत्री
“कोरोना से राहत 21 अप्रैल से, पूरा छुटकारा 1 जुलाई के बाद”
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कानपुर का पहला कोरोना पॉजिटिव केस मिला
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ज्योतिषाचार्य संतोष पाधा कहते हैं कि माँ दुर्गा के 9 रूपों में प्रथम स्वरूप माता शैलपुत्री का है। नवरात्र के पहले दिन माँ के इसी रूप कि विधि विधान से पुजा करने की परंपरा है। शैलराज हिमालय राज कि कन्या होने के कारण ही माँ का नाम शैलपुत्री पड़ा। माँ का यह रूप अति सुन्दर है। माँ ने दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प ले रखा है। माँ अपने वाहन वृषभ पर विराजमान रहती है। इसलिए माँ को भक्त वृषारूढ़ा देवी के नाम से भी जानते है। माँ के हाथ में सुशोभित कमल पुष्प अविचल ज्ञान और शांति का प्रतीक है। भगवान शंकर की भांति माँ पर्वतों पर रहती है। प्रत्येक प्राणी में माँ का स्थान नाभि चक्र से नीचे स्थित मूलाधार चक्र में है। यही वह स्थान है जहां माँ कुंडलिनी के रूप में रहती है। माँ की उपासना में योगी एवं साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं। इसी स्थान से योग साधना का प्रारंभ होता है। माँ का यह रूप साधक को साधना में लीन होने की शक्ति, साहस एवं बल प्रदान करता है। साथ ही आरोग्य का वरदान भी देता है। सभी वन्य जीव-जंतुओं पर माँ की हमेशा कृपा रहती है जो भक्त माँ की पूजा उपासना श्रद्धा भक्ति के साथ करता है। उसे माँ अभयदान देती है। शास्त्रों व पुराणों मे ऐसा उल्लेख मिलता है कि माँ अपने भक्तों को आकस्मिक आपदाओं से भी मुक्त रखती है और उन्हें धन, वैभव, मान सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाती है। शनि के प्रकोप से बचने के लिए भी माँ कि पुजा कर सकते हैं।
ऐसा करने पर बरसेगी माँ की कृपा ….
माँ की पूजा में सफेद और लाल रंग का फूल चढ़ायें। गाय के दूध से बने पकवान एवं मिष्ठान का भोग लगाने से यह मां प्रसन्न होती हैं तथा भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करती हैं। साथ ही भक्तों के घर की दरिद्रता को दूर करके उसके घर के सभी सदस्यों को रोग मुक्त करती हैं। अगर आप माँ को प्रसन्न करना चाहते है तो एक कन्या को कंघा, हेयर ब्रश, हेयर क्रीम या बैंड उपहार में दें। पिपरमेंट युक्त मीठे मसाले का पान, अनार या गुड़ से बने पकवान माँ बहुत पसंद है। परिवार सहित माँ की आरती करने से पूरा परिवार सुखमय रहता है।
आरती
शैलपुत्री मां बैल अ सवार
करें देवता जय जय कार
शिव शंकर की प्रिय भवानी
तेरी महिमा किसी ने न जानी।।
पार्वती तू उमा कैहलावे
जो तुझे सुमिरे सो सुख पावे
रिद्धि सिद्धि परवान करे तू
दया करें धनवान करे तू ।।
सोमवार को शिव संग प्यारी
आरती तेरी जिसने उतारी
उसकी सगरी आस पुजा दो
सगरे दुख तकलीफ मिटा दो ।।
घी का सुंदर दीप जला के
गोला गरी का भोग लगा के
श्रद्धा भाव से मंत्र गाये
प्रेम सहित फिर शीश झुकाये ।।
जय गिरिराज किशोरी अंबे
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे
मनोकामना पूर्ण कर दो
भक्त सदा सुख संपति भर दो।।