गो आधारित प्राकृतिक खेती करें किसान: योगी आदित्यनाथ
- सीएसए में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे मुख्यमंत्री
- गुजरात के राज्यपाल व केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री भी हुए शामिल
RAJAT SAXENA
(कानपुर/VMN) प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान यूरिया और केमिकल खाद की बजाए गो आधारित प्राकृतिक खेती करें। गाय के गोबर और मूत्र का खेती में प्रयोग करें। यह बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में नमामि गंगे योजना के अंतर्गत आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही । उन्होंने कहा प्रदेश सरकार ने पहले चरण में 1038 ग्राम पंचायत शामिल की हैं, जहां पर मास्टर ट्रेनर तैयार किए जाएंगे, जो गांवों में जाकर किसानों को गो आधारित खेती का प्रशिक्षण देंगे।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा किकिसानों की समृद्धि से ही देश की समृद्धि हो गी इसलिए जरूरी है कि किसान गो आधारित प्रकृति की ओर बड़े जिससे धरती भी स्वस्थ होगी और किसान भी समृद्ध बनेगा । मुख्यमंत्री ने पंजाब और हरियाणा किसानों का उदाहरण देते हुए बताया कि जैसे वह समस्याओं से ग्रसित हैं वैसे ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भी अच्छी फसल के लालच में खेतों में यूरिया बिछा रहे हैं। इससे लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है और जमीन भी खराब हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार आने वाले समय में प्रत्येक गोवंश को टैग करने की तैयारी कर रही है। इसमें पालतू और निराश्रित दोनों ही तरह के गोवंश शामिल किए जाएंगे । अगर कोई किसान निराश्रित पशु को रखकर देखभाल करता है तो उसको प्रतिमा प्रतिमाह ₹900 का भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि 27 से 31 जनवरी के बीच गंगा यात्रा गुजरेगी तो 1038 ग्राम पंचायतों के किसानों से भी सरकार के प्रतिनिधि गो आधारित खेती पर चर्चा करेंगे। पशुओं को होने वाले खुरपका और मुंहपका रोग को समाप्त करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। प्रत्येक कमिश्नरी हेड क्वार्टर में लैब बनाई जाएंगी, जहां गो आधारित खेती अपनाकर प्राकृतिक उत्पादन करने वाले किसानों को प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इस मुख्यमंत्री सबसे पहले चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा स्थल पर गए और उन्होंने पुष्प अर्पित करके नमन किया। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत आयोजित कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
प्रकृति असंतुलन के दुष्परिणाम पूरी दुनिया भुगत रही है: नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि प्रकृति असंतुलन के दुष्परिणाम पूरी दुनिया भुगत रही है, इसके लिए भगवान नहीं इंसान जिम्मेदार है। ऐसे में आवश्यकता है हमे प्रकृति के चक्र के पहचाने की। अगर हम प्राकृतिक खेती करेंगे तो प्राकृति असंतुलन को प्रकृति संतुलन में बदल देंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में किसानों ने केमिकलयुक्त खाद का भरपूर उपयोग किया, जिसका उन्हें फायदा भी मिला तो नुकसान भी काफी हुआ है। प्रकृतिक असंतुलन से बचने के लिए समय रहते सुधार किया जा सकता है। सरकार भी योजनाएं बना रही है, जिससे किसानों को जुडऩा है। इसपर विचार किया जाना चाहिये, एक अच्छा किसान वही है, जो समय के साथ खुद को भी बदलें।
रासायनिक खेती से फसलों से हो रहा कैंसर: आचार्य देवव्रत
कार्यशाला में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि रासायनिक खेती से कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। पीजीआई चंडीगढ़ व देश के बड़े अस्पतालों की रिपोर्ट यह बताती है कि कुछ वर्षों में 25 से 30 फीसद कैंसर रोगी बढ़े हैं। इसका कारण रासायनिक खेती में 15 से 16 छिड़काव किए जाते हैं। 20 वर्षों तक उन्होंने रासायनिक खेती की तब इसके दुष्परिणाम जाने। पद्मश्री सुभाष पालेकर की प्राकृतिक खेती अपनाई तो न केवल उत्पादन बढ़ा बल्कि फसलें भी स्वस्थ पैदा हुई। कहा, डायबिटीज, हार्ट अटैक व कैंसर जैसी बीमारियां पहले नहीं थी। इसका ताजा उदाहरण महाराष्ट्र में रासायनिक छिड़काव करते हुए 40 किसानों मौत आगोश में सो गए। गो आधारित खेती करके ना केवल हम बंजर जमीन को फिर से लहलहाने योग्य बना सकते हैं बल्कि मित्र कीट की संख्या भी खेतों में बढ़ाकर उसे लंबे समय तक जीरो बजट खेती योग बना सकते हैं।