• चीन में उत्पादन से ज्यादा है चीनी की खपत 

  • उत्पादन और गुणवत्ता सुधारेंगे भारतीय विशेषज्ञ

  • चीन के दल ने एनएसआई से लगाई गुहार 

  • कानपुर से विशेषज्ञों का दल जाएगा चीन 

 

Vikki Aazad

(कानपुर/VMN) चीन की चीनी की मिठास कम हो चली है। इस समस्या से निजात पाने के लिए चीन ने कानपुर स्थित एनएसआई से सहायता की गुहार लगाई है। चीन में चीनी की खपत उत्पादन की अपेक्षा काफी ज्यादा है।

अभी हाल में ही कानपुर स्थित नेशनल शुगर इंस्टिट्यूट में चीन से  6 सदस्यों का विशेषज्ञों का एक दल आया था जिसने बताया कि चीन में चीनी का उत्पादन महज 110 लाख टन ही है जबकि प्रतिवर्ष खपत 160 लाख टन है। लगभग 50 लाख टन चीनी के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता है।  विशेषज्ञों के दल ने उपलब्धियों को देखते हुए भारत के विभिन्न शुगर इंस्टीट्यूट्स में से कानपुर के ही एनएसआई से ही चीन में चीनी के उत्पादन और गुणवत्ता सुधारने के लिए गुहार लगाई है जोकि कानपुर एनएसआई के लिए गर्व की बात है। चीनी का उत्पादन बढ़ाने के लिए चीनियों ने तमाम प्रयास किए लेकिन उसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। चीनी की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के गुर सीखने के लिए दिसम्बर 2019 में चीन का एक छह सदस्यीय दल ही जिमिन (डिप्टी डायरेक्टर गोआक्सी शुगर डेवलपमेंट) की अगुवाई में उप्र के  कानपुर स्थित एनएसआई के निदेशक प्रो नरेन्द्र मोहन से मुलाकात की मदद की मांग की। चीनी दल ने संस्थान का भ्रमण करके तमाम तकनीकी जानकारियां जुटाई । चीनी प्रतिनिधि मंडल ने गन्ने से चीनी बनाने के साथ साथ इथेनॉल व दूसरे अन्य विकल्पों से भी चीनी बनाने में मदद की मांग की। इसके साथ ही साथ उन्होंने एनएसआई निदेशक से एक चीनी विशेषज्ञ प्रतिनिधि मंडल चीन भेजने का निवेदन किया जिसे एनएसआई ने स्वीकार करते हुए जल्द ही चीनी विशेषज्ञों का दल चीन भेजने को कहा है जोकि वहां की चीनी मिलों व तकनीकी संस्थानों का भ्रमण करेंगे और चीनियों को चीनी का उत्पादन बढ़ाने के गुर सिखायँगे।

 

एनएसआई निदेशक प्रो नरेन्द्र मोहन ने बताया कि चीन में 60 टन प्रति हेक्टेयर गन्ना होता है जबकि हमारे उत्तर प्रदेश में 80 टन प्रति हेक्टेयर गन्ने का उत्पादन होता है। हम वहां पर जाकर गन्ने की प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ाने का प्रयास करेंगे वहां की जलवायु के अनुसार गन्ने की नई प्रजातियां उगाएंगे। उनके संस्थानों और गन्ना मिलों व फैक्ट्रियों का भ्रमण करके उत्पादकता में होने वाली हानियों को कम करेंगे। चीन जाने के बारे मे पूछने पर उन्होंने कहा कि यहां आने वाला दल अपनी सरकार से वार्ता करेगा फिर वहां की सरकार भारत सरकार से बात करेगी तब अगर हमारी सरकार कहेगी तो हम एक चीनी विशेषज्ञ दल लेकर चीन जाएंगे और यह हमारे लिए गर्व की बात है कि चीन ने अपने देश में चीनी के  उत्पादन और गुणवत्ता को सुधारने के लिए एनएसआई कानपुर से सहायता मांगी है।