• भारत की रक्षा में तैनात अत्याधुनिक हथियारों एवं उपकरणों का हुआ जमावड़ा
  • 5 फरवरी से 9 फरवरी तक चलने वाले डिफेंस एक्सपो की तैयारियां लगभग पूरी
  • चीता, आकाश इंद्र, पिनाक, सुखोई जगुआर और ग्लोबमास्टर होंगे आकर्षण का केंद्र 

Archana Sharma

(लखनऊ/VMN) लखनऊ के वृंदावन कॉलोनी सेक्टर 15 में आगामी 5 फरवरी से 9 फरवरी तक लगने वाले हथियारों के मेले में सेना की ताकत कहलाए जाने वाले सभी प्रमुख हथियार व सैन्य उपकरण पहुंच चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय डिफेंस एक्सपो में इनका जलवा देखने से पहले ही रिहर्सल के दौरान इनकी ताकत बखूबी देखी जा रही है। लोगों के लिए अभी से सैन्य उपकरण आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं तो दूसरी और इनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी न केवल केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस के 3,000 से अधिक जवान लगाए गए हैं। सुरक्षा व्यवस्था दो लेयर में रहेगी, जहां केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे तो वही उत्तर प्रदेश पुलिस बल के अधिकारी व सिपाही आउटर पर मुस्तैद रहेंगे जो न केवल पूरे आयोजन पर निगाह रखेंगे बल्कि देसी और विदेशी मेहमानों का भी पूरी तरह से ख्याल रखेंगे। पूरे कार्यक्रम की तैयारी अंतिम दौर पर पहुंच चुकी है शहर के जिन हिस्सों में डिफेंस एक्सपो का आयोजन होना है उसे सेना के हवाले कर दिया गया है। डिफेंस एक्सपो में किसी का भी प्रवेश बिना पास या कार्ड के नहीं हो सकेगा। सुरक्षा की दृष्टि से कार्ड पर क्यू आर कोड बनाए गए हैं। ताकि आवश्यकता पड़ने पर संबंधित व्यक्ति की जांच भी की जा सके। तो दूसरी ओर आम जनता के लिए प्रवेश निशुल्क रखा गया है। आम जनता केवल 8 व 9 फरवरी को ही प्रवेश पा सकेगी लेकिन उनको पहचान पत्र अनिवार्य रूप से लाना होगा। डिफेंस एक्सपो को सफल बनाने की जिम्मेदारी न केवल सैन्य अधिकारियों बल्कि लखनऊ बिजली विभाग, नगर निगम,  जिला प्रशासन, पीडब्ल्यूडी, एलडीए, आवास एवं विकास परिषद, चिकित्सा, शिक्षा, पुलिस, ट्रैफिक, परिवहन आदि विभागों पर भी रहेगी। सभी विभागों के करीब 15,000 से अधिक अधिकारी व कर्मचारी तैनात रहेंगे। इसी के साथ 680 से अधिक मीडिया कर्मी 847 इंडियन एक्जीबिटर व 145 विदेशी एक्जीबिटर सहित देश-विदेश के आला सैन्य अधिकारी एक्सपो में शामिल होंगे। 54 देशों के रक्षा मंत्री भी शिरकत करेंगे। चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधि नहीं आएंगे। इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने फाइनल सूची जारी कर दी है। दूसरी ओर किसी भी तरह की स्थिति व परिस्थिति से निपटने के लिए लाइव शो स्थल व कार्यक्रम स्थल के पास ही 40 एंबुलेंस तैयार रहेगी। 20 एंबुलेंस एडवांस स्तर पर आपातकालीन चिकित्सा सुविधा के साथ वेंटिलेटर युक्त उपस्थित रहेगी. तो इसी के साथ ही जिला प्रशासन ने 4 से 9 फरवरी तक शहर के सभी प्रमुख सरकारी व निजी अस्पतालों को भी अलर्ट जारी कर दिया है। ताकि किसी भी स्तर की इमरजेंसी से तत्काल निपटा जा सके। एक्सपो का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। 

इन सैन्य उपकरणों का दिखेगा जलवा 

चीता हेलीकॉप्टर, आकाश मिसाइल इन रडार व पिनाक रॉकेट लॉन्चर, तुंगुस्का एडी सिस्टम के साथ ही सुखोई, जगुआर, गलबमास्टर वायुसेना की असीम शक्ति का प्रदर्शन करेंगे तो दूसरी ओर गोमती नदी मे जाँबाज  मार्कोस कमांडो अपनी शक्ति व सूझ बूझ का प्रदर्शन करेंगे। ।डी आर डी ओ के सैन्य उपकरण भी आकर्षण का केन्द्र रहेंगे. इसमें खासतौर से अर्जुन टैंक, मॉड्यूलर बीजिंग सिस्टम, एडवांस कार्बन कम्पोजिट मॉडुलेर ब्रिजिंग सिस्टम,  काउंटर माईन फलेल, मीडियम पावर रडार आदि शामिल रहेंगे। 

 

 

 

 

सेना की विशेष फ़ोर्स है मार्कोस…. 

मार्कोस समुद्री कमांडो नौसेना के विशेष फोर्स कहलाती है। इसका गठन 1987 में किया गया था। इनकी ट्रेनिंग इतनी कठिन होती है कि सेना के हजारों जांबाज सैनिकों में से कोई एक ही मार्कोस बन पाता है। शायद इसीलिए एक इन को अमेरिकी नेवी सील से भी बेहतर माना जाता है। इसके लिए 20 साल के युवाओं को ही चुना जाता है। इनको 3 दिन तक शारीरिक फिटनेस व योग्यता परीक्षा से भी गुजरना पड़ता है। इस दौरान इनको सोने की अनुमति नहीं होती है। कई दिनों तक भूखा रखा जाता है। आधा शरीर कीचड़ में घुसकर कंधों पर 25 किलो से अधिक वजन लेकर 800 मीटर से ज्यादा दौड़ लगानी पड़ती है। इनकी सबसे कठिन ट्रैनिग डेथ काल होती है। ये कमांडो 21 स्टार इज़रायली गन का इस्तेमाल करते है। इनको हर तरह के हथियार चलाने की ट्रैनिग दी जाती है। 2.5 किलोमीटर का ऑब्सटिकल कोर्स भी इनको करना पड़ता है जोकि बहुत ही कठिन होता है। 11 किलोमीटर की हाइ एटीट्यूड लो ओपनिंग जंप लगाने में यह निपुण होते हैं।  इनका पैराशूट जमीन के बिल्कुल पास में ही आकर खुलता है। इनको अपने पैराशूट खोलने का समय केवल 10 से 15 सेकंड का ही मिलता है। यह छलांग 40 डिग्री के तापमान पर लगाई जाती है। 26 नवंबर के मुंबई हमले में मार्कोस ने ऑपरेशन ब्लैक टॉनेर्डो चलाकर आतंकियों को ठिकाने लगाया था। पहले इनको मरीन कमांडो कहते थे। मार्कोस की ट्रैनिग आईएनएस अभिमन्यु में होती है।

 जवानों को 8 व 11 किलोमीटर की ऊंचाई से कूदने की ट्रेनिंग भी दी जाती है। चाकू,  धनुष से लेकर स्नाइपर, हथ गोले तक चलाने की ट्रेनिंग इन को दी जाती है। विषम से विषम परिस्थितियों के लिए इनको तैयार किया जाता है ताकी शत्रु इन पर भारी न पड़े।

यह है असली हीरो

 अगर आपने अभी अभी तक असली हीरो नहीं देखा है तो डिफेंस एक्सपो जाइए और मार्कस नामक इस असली हीरो से मुलाकात कीजिए। उनके हैरतअंगेज कारनामे देखकर आप दांतो तले उंगली दबाने से नहीं चूकेंगे यह वही कमांडो है जो दुश्मनों के दांत खट्टे कर देते हैं कि वह उनसे पंगा लेने की गलती जीवन में कभी भी नहीं करता। यह कमांडो नौसेना के होते हैं। इनकी ताकत और हैरतअंगेज कारनामे आपको लखनऊ में ही देखने को मिलेंगे इसके लिए गोमती नदी को खासतौर पर समुद्री रूप से तैयार किया गया है। 5 से 9 फरवरी के बीच आप इनकी हैरतअंगेज कारनामे यहां देख सकते हैं। 

 मार्कोस के सफल ऑपरेशन

  •  1987 में श्रीलंका के ऑपरेशन पवन में मार्कोस कमांडो ने बतौर  शांति सेना के हिस्सा लिया था, इन्होंने लिट्टे के कब्जे में रहे जाफना और त्रिंकोमाली बंदरगाह को आज़ाद कराया था। न जाने कितने ही किलोमीटर तक समुद्र में विस्फोटक लादकर तैर कर इस ऑपरेशन को सफल बनाया. इस दौरान एक भी कमांडो को नुकसान नहीं पहुंचा था।
  • 1988 में मालदीव के ऑपरेशन कैक्टस में हिस्सा लेकर आतंकियों की उस कोशिश को नाकाम कर दिया था जिसमें वह मालदीव की सत्ता पलटना चाहते थे।
  • 1999 के कारगिल युद्ध में भी मार्कोस ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों को उनकी सीमा में खदेड़ने का काम किया था।

होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम भी… 

डिफेंस एक्सपो में सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन होगा. जिसमें गतका नृत्य, कुमाऊंनी नृत्य, खुकरी नृत्य व आर्मी, नेवी, एयरफोर्स बैंड की प्रस्तुतियां शामिल होंगी। सेना का सिंफनी बैंड आकर्षण का केंद्र रहेगा।

चीता, आकाश, तुंगुस्का, पिनाक, इंद्र की विशेषता…. 

चीता हेलीकॉप्टर का वजन 1950 किलोग्राम होता है। इसकी अधिकतम गति 192 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इसमें पायलट के साथ ही 5 क्रू सवार हो सकते हैं। इसकी रेंज 560 किलोमीटर तक होती है और उड़ान क्षमता 3.10 घंटे की रहती है। 

 

 

 

आकाश मिसाइल की मारक क्षमता 18000 मीटर ऊंचाई तक और 30 किलोमीटर दूर तक होती है। इसका वजन 720 किलो होता है और इसकी रफ्तार 2.5 मैक होती है।

 

 

 

 

 

तुंगुस्क ए डी सिस्टम यह एक रूसी टाइम सुचालक anti-aircraft हथियार है जो सतह से हवा में बंदूक और मिसाइल प्रणाली से लैस होकर वार करता है। प्रत्येक मौसम में कम उड़ान वाले विमानों,  हेलीकॉप्टरों व क्रूज मिसाइलों को यह अपना निशाना बनाता है। 

 

 

 

 

 

पिनाक रॉकेट लॉन्चर एक विशाल व बहू खंडी ए रॉकेट लॉन्चर है। इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है. इसमें 44 सेकंड में 12 रॉकेट लॉन्च करने की क्षमता होती है और इसकी अधिकतम मारक क्षमता 65 किलोमीटर है इसे टाट्रा ट्रक पर लगाया जाता है। कारगिल युद्ध में पिनाका का अहम रोल था। 

 

 

 

 

इंद्र रडार सिस्टम की क्षमता बहुत अधिक होती है। इसे ग्लोबमास्टर के जरिए एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है। यह दुश्मन की किसी भी गतिविधि पर पैनी नजर रखने की अद्वितीय क्षमता रखता है।

 

 

 

 

 

 

सेल्फी भी ले सकेंगे… 

आम जनता जांबाज सैनिकों के साथ सेल्फी भी ले सकेगी। इसके लिए गोमती रिवर फ्रंट पर सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है। सैनिकों के साथ ही दर्शक t 90 टैंक, पैरा जंप सूट, बीएमपी, सैनिको,  नाविकों, सेल बोट्स, हथियारों व उपकरणों के साथ सेल्फी ले सकेंगे। साथ ही उनको आर्मी, नेवी, एयरफोर्स व वाटर स्कूटर से हैरतअंगेज करतब दिखाने वाले कोस्ट गार्ड से संबंधित रोचक जानकारियां भी मिल सकेंगी।