दिल्ली में दंगे देश को बदनाम करने की साजिश : डा दिनेश शर्मा
- विपक्षी की हिन्दू मुस्लिम के बीच पैदा कर रहे भेदभाव
- देश को बांटना चाहती हैं विभाजनकारी ताकतें
- प्रदेश में हो रही हैं नकलविहीन परीक्षाएं
(अमरोहा/VMN) दिल्ली में हुए दंगों को देश को बदनाम करने की साजिश है। ऐसे समय में जब अमेरिका के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर थे उस समय में इस प्रकार की घटना का होना देश को बदनाम करने का षडयंत्र है। इस षडयंत्र के सूत्रधार देश की छवि खराब करना चाहते हैं। वह दिखाना चाहते थे कि भारत में अशान्ति है। देश विरोधी आचरण की देश में कोई जगह नहीं है। कुछ लोगों ने निरीह लोगों को मारने व उन पर आक्रमण करने का काम किया है वे किसी भी सूरत में बख्शे नहीं जाएंगे। यह बात उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने आरोग्य मेले उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही।
दिल्ली दंगों में एक दल के पार्षद का नाम आने से जुडे़ सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह विपक्ष के कुछ नेताओं की साजिश थी। सीएए व एनआरसी को लेकर धरना प्रदर्शन व हिंसा कर विभाजनकारी ताकतें देश को बांटना चाहती थीं पर देश नहीं बंटेगा। विपक्ष वर्ग विभेद बढ़ाने के साथ ही हिन्दू मुस्लिम के बीच में भेदभाव पैदा करना चाहता था। विपक्ष के तमाम लोग नहीं चाहते हैं कि देश में एकता रहे। विपक्ष देश में मोदी योगी सरकार में हो रहे तीव्र गति के विकास कार्यों से परेशान है। इसलिए ही उसे सरकार के हर कार्य में कमी नजर आती है। आज विपक्ष की नींद उड़ गई है।
डा शर्मा ने कहा कि यह मेले आमजनमानस तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुचाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस समय नकलविहीन परीक्षाएं पारदर्शी तरह से सम्पादित हो रही हैं। प्रदेश में 56 लाख परीक्षार्थी इस बार परीक्षा में बैठे हैं। इस बार करीब 7784 परीक्षा केन्द्रों के 94 हजार कमरों में 1 लाख 88 हजार कक्ष निरीक्षक परीक्षा करा रहे हैं। पूर्व की सरकारों में दो महीने चलने वाली परीक्षाएं इस बार मात्र 12 से 15 दिन में समाप्त हो जाएंगी यह भी एक रिकार्ड है। इन परीक्षाओं की करीब एक लाख नब्बे हजार सीसीटीवी कैमरों के जरिए मानीटरिंग की जा रही है। प्रदेश में पहली बार केन्द्रीयकृत कन्ट्रोल रूम बनाकर परीक्षाओं की निगरानी की जा रही है। प्रदेश में दूसरी बार एनसीईआरटी के पैटर्न पर परीक्षाएं हो रही हैं। आज प्रदेश में देश के अन्य बोर्ड की तरह ही पाठ्यक्रम लागू करके शिक्षा दी जा रही है। अब पहले पढ़ाई उसके बाद पढ़कर परीक्षा देनी होगी। आने वाले समय में विश्वविद्यालयों की परीक्षा भी इसी प्रकार से नकल विहीन कराई जाएंगी। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों व प्रधानाचार्यों की कमी को भी सरकार तेजी से दूर कर रही है।