द्वितीय माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से मिलेगा मन चाहा जीवन साथी
माता ब्रह्मचारिणी के पूजन से मनुष्य में तप, वैराग्य, सदाचार, संयम की होती है वृद्धि कोरोना महामारी से जूझ रहे समाज को माता की मंत्रों के साथ पूजा करने से इस से निपटने के लिए मिलेगी शक्ति व संयम।
आज ज़ब कोरोना जैसी महामारी से पूरा देश व दुनिया जूझ रही है तो ऐसे में माता के भक्तों के लिए ये नवरात्र का पर्व खासा लाभकारी सिद्ध हो सकता है और इस महामारी से लड़ने के लिए हमें संयम व शक्ति भी मिल सकती है। बस हमें केवल माँ ब्रम्ह्चारिणी की पूजा अर्चना पूरी भक्ति भाव से करने कि ज़रूरत है। आचार्य सुशील कृष्ण शास्त्री बताते हैं कि धवल वस्त्र धारण किये व दाएं हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल लिए माता ब्रह्मचारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली इनकी पूजा नवरात्र के दूसरे दिन की जाती है। सत, चित्त, आनंदमय ब्रह्म की प्राप्ति कराना ही माँ का स्वभाव है। माँ की आभा पूर्णं चंद्रमा के समान निर्मल कांतिमय है। माँ की शक्ति का स्थान स्वाधिष्ठान चक्र में है। नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त माँ के इसी विग्रह की पूजा अर्चना करते हैं। माँ अपने भक्तों को सभी कार्य में सफलता प्रदान करती है जो भी साधक या भक्त माँ की आराधना भक्ति भाव से करता है वह कभी भी अपने जीवन में नहीं भटकता अर्थात माँ के उपासक अच्छे मार्ग से कभी नहीं हटते। जीवन के कठिन संघर्षों में भी अपने कर्तव्य का पालन बिना विचलित हुए करते रहते हैं। माँ के इस रूप के पूजन से दीर्घायु प्राप्त होती है। सच्चे मन से माँ की पूजा अर्चना करने से स्त्री व पुरुष दोनों को मन चाहा जीवन साथी मिलता है।
ऐसे प्रसन्न होती है माँ ….
मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल के फूल बहुत पसंद होते हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन इन्हीं पुष्पों से माता कि पुजा अर्चना करनी चाहिये। साथ ही चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाया जाता है प्रसाद भेंट करने और आचमन के पश्चात् पान सुपारी भेंट कर प्रदक्षिणा करें इसके बाद घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें इनके प्रसन्नता के लिए खुशबूदार तेल की शीशी कन्याओं को दें अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
आरती
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता
जय चतुरानन प्रिया सुखदाता
ब्रह्मा जी के मन भाती हो
ज्ञान सभी को सिख लाती हो।।
ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा
जिसको जपे सरल संसारा
जय गायत्री वेद की माता
जो जन जिस दिन तुम्हें ध्याता।।
कमी कोई रहने ना पाए
उसकी विरति रहे ठिकाने
जो तेरी महिमा को जाने।।
रुद्रक्षा की माला लेकर
जपे जो मंत्र श्रद्धा देकर
आलास छोड़ करे गुनगाना
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम
पूर्ण करो सब मेरे काम
भक्त तेरे चरणों का पुजारी
रखना लाज मेरी महतारी।।