बेबी डॉल को कार्रवाई का डर
लखनऊ के 3 थानों में दर्ज है रिपोर्ट
- धारा 188, 269 व 270 में दर्ज है मामला
‘बेबी डॉल में सोने दी’ जैसे तमाम हिट गाने देने वाली कनिका कपूर की मुश्किल अस्पताल से लौटकर और बढ़ने वाली हैं। दरअसल इन पर लखनऊ के महानगर, सरोजनीनगर और हज़रतगंज में एक नहीं बल्कि तीन रिपोर्ट दर्ज़ हैं। कनिका पर आरोप है कि उन्होंने कोरोना से संक्रमित होने की बात को जानते हुए भी छुपाया दो और तीन पार्टी कीं जिससे संक्रमण के फैलने की सम्भावना बढ़ गईं। उन्होंने लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने की कोशिश की। हांलाकि ज़ब वह पूरी तरह स्वास्थ्य हो जाएंगी तभी पुलिस उन पर कार्रवाई करेंगी।अभी उनको 14 दिन के क्वॉरेंटाइन में रहने के लिए कहा गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कनिका कपूर ने अपने किसी वकील से संपर्क कर कानूनी सलाह ली है।

सुजीत पाण्डेय, पुलिस कमिश्नर, लखनऊ
क्वारंटाइन के बाद होगी कार्रवाई
“अभी तो घर पर ही उनको क्वारंटाइन में रखा जायेगा इसके बाद ही कोई कार्रवाई हो सकेगी।”
सुजीत पाण्डेय, पुलिस कमिश्नर, लखनऊ

कमलदीप सचान, महामंत्री, कानपुर बार एसोसिएशन
चार्जशीट दाखिल होनी चाहिए
“आईपीसी की धारा 188, 269 व 270 में दर्ज मुकदमे में पुलिस को जांच करके चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए। यह प्रक्रिया भले ही 14 दिनों बाद उनके पूर्ण स्वस्थ होने के बाद की जाए। क्या अपराध बनता है यह पुलिस जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।”
कमलदीप सचान, महामंत्री, कानपुर बार एसोसिएशन।
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कानून में इन धाराओं का क्या है प्रावधान और दंड
भारतीय दंड संहिता की धारा 188
इस दौरान धारा 188 भी चर्चा में है, देश में लॉकडाउन के दौरान इस धारा का भी इस्तेमाल किया गया है। इस धारा के तरत अगर किसी ने जिले के लोकसेवक जैसे आईएएस अफसर द्वारा लागू किसी विधान का उल्लंघन किया हो। सरकारी आदेश में बाधा डाली हो, या फिर उसका अवमानना की हो। ऐसी स्थिति में प्रशासन द्वारा आरोपी पर धारा 188 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इस धारा के तहत आरोपी को एक महीने की जेल या फिर जुर्माना या फिर दोनों की सजा मिल सकती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 269
किसी बीमारी को फैलाने के लिए किया गया गैरजिम्मेदाराना काम। इससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत अपराधी को छह महीने की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 270
किसी जानलेवा बीमारी को फैलाने के लिए किया गया घातक या फिर नुकसानदायक काम। इस काम से किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरा हो सकता है। इस धारा के तहत नुकसानदेह शब्द ये दर्शाता है कि आरोपी ने जानबूझकर ये कदम उठाया है। दोनों ही धाराओं में सजा की अवधि लगभग समान है।