• डॉक्टर्स मरीजों का नहीं उठा रहे हैं फोन
  • अधिकांश डॉक्टर ने  बंद कर रखे हैं फोन
  • लॉक डाउन के चलते बंद है डॉक्टर क्लीनिक
  • नियमित दिखाने वाले मरीज हो रहे हैं परेशान

(लखनऊ/VMN) उन डॉक्टर्स को सलाम है जिन्होंने फोन पर, व्हाट्सएप पर या फिर अन्य सोशल साइट्स के सहयोग से अपने शहर के मरीजों को मेडिकल एड देने का निर्णय किया है। यह अपने निश्चित समय पर  मरीजों को निशुल्क चिकित्सीय राय दे रहे हैं। इस जज्बे को वंदे मातरम न्यूज़ सलाम करता है। पूरे भारतवर्ष में लाखों की संख्या में ऐसे मरीज हैं जो नियमित अपने एक निश्चित डॉक्टर के संपर्क में रहकर एक निश्चित अंतराल के बाद दिखाते हैं और उनकी परामर्श पर दवाओं का सेवन करते हैं। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और उसके बाद 21 दिन के लॉक डाउन होने के दौरान इन मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।  

इनमें से अधिकांश डॉक्टर्स ने इस दौर में अपने फोन या तो बंद कर दिए हैं या फिर अपने स्टाफ को दे दिए हैं। यह स्टाफ डॉक्टर्स द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार मरीजों के आने वाले फोन पर यह कहकर अपनी इतश्री कर ले रहे हैं कि जो दवा चल रही है उसी दवा को स्थितियां सामान्य होने तक खाते रहें।  

   एक बात से अवगत करा दें कि बहुत सी ऐसी दवाइयां हैं जो एक निश्चित समय के लिए ही डॉक्टर लिखते हैं अगर उनका सेवन अनावश्यक रूप से अतिरिक्त दिनों तक किया जाता रहे तो उनसे लाभ के स्थान पर गंभीर रूप से हानि भी हो सकती है। वंदे मातरम न्यूज़ ऐसे डॉक्टर्स से अपील करता है कि वह अपने मरीजों के जीवन को स्वस्थ  बनाए रखने के लिए विभिन्न सोशल साइट्स या फिर फोन पर व्यक्तिगत रूप से सलाह दें। इससे देश में चल रही कोरोना वायरस के संक्रमण की महामारी के कारण लॉक डाउन के दौरान दिखाने नहीं आ पा रहे मरीजों को स्वास्थ्य लाभ हो सकेगा और यदि किसी की आवश्यक दिनों से ज्यादा दवाई चल रही होगी तो वह अभी डॉक्टर द्वारा बदली जा सकेगी जिससे मरीज का जीवन सुरक्षित हो सकेगा। इसके अभाव में मरीजों का क्या होगा यह बताने की जरूरत नहीं है। 

              डॉक्टर को पृथ्वी पर भगवान के बाद दूसरा स्थान प्राप्त है। ऐसा नहीं है कि इस  विषम परिस्थितियों में डॉक्टर अपनी सेवा नहीं दे रहे हैं लेकिन वह सेवाएं केवल कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने के लिए बने केंद्रों और सरकारी अस्पतालों में आकस्मिक सेवाएं देने के लिए तैनात हैं। समस्या उन डॉक्टर द्वारा की जा रही है जो गैर सरकारी हैं या फिर हैं तो सरकारी लेकिन अपनी सरकारी सेवाओं के बाद समय निकालकर निजी तौर पर भी मरीजों को देखते हैं लेकिन इस आपातकालीन स्थिति में इन डॉक्टर्स द्वारा किए जा रहे इस तरह के व्यवहार की कदापि सराहना नहीं की जा सकती। 

कोरोना वायरस के संक्रमण से व्याप्त महामारी को मद्देनजर रखते हुए जब केंद्र और राज्य सरकारें बैंक के लेनदेन,  ईएमआई, बिजली बिलों में रियायत, मकान मालिकों के द्वारा किराया न लेने और खाली न कराने जैसे आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं  वह भी इंसान के जीवन बचाने को लेकर तो फिर पृथ्वी पर भगवान का स्वरूप माने जाने वाले ऐसे डॉक्टर्स से क्यों नहीं कोई अपेक्षा की उम्मीद सरकार रख रही है।   

 मरीजों का फोन नहीं उठाना गलत है 

“जो भी डॉक्टर अपने मरीजों का फोन नहीं उठा रहे हैं या मोबाइल बंद कर दिया है, ये बहुत ही गलत है जबकि पहले ही सर्कुलर जारी कर दिया गया था कि आम जनता को डॉक्टर की ओर से कोई दिक्कत न हो। अभी तक इस सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं मिली थीं लेकिन अब इस मामले की पूरी छानबीन कराई जाएगी और मुख्य्मंत्री के सामने भी इस बात को रखा जायेगा ताकि इस विषम परिस्थिति में किसी भी आम व्यक्ति को समस्या न हो।”

डाॅ रुकुम केश, महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, उप्र सरकार