• बेटा और बेटी विदेश में और पत्नी भी है दूसरे जिले में
  • कर्मचारियों को दिया अवकाश, खुद ही संभाल रहे हैं किचन 

Archana Sharma

व्यक्तिगत जीवन को समाज के लिए न्योछावर कर देना कोई आसान बात नहीं है। रुतबा हो शोहरत हो लेकिन परिवार दूर हो वह भी इस परिस्थिति में जब पूरा विश्व महामारी की कगार पर खड़ा हो। समाजिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ मानवीय मूल्यों को जीवित रखना आज के इस दौर में जब संपूर्ण विश्व को कोरोना वायरस ने अपने जाल में फंसा रखा हो काफी मुश्किल है लेकिन इन बेड़ियों से आजाद उत्तर प्रदेश सरकार के ऐसे ही मंत्री के बारे में बात करेंगे जो जमीं से उठकर जमीं पर ही चलने की बात और जीने का जज्बा रखते हैं। जी हां आज हम बात करने जा रहे हैं उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी की।

मंत्री जी के संबंध में सबसे पहले बात करते हैं हम उनके परिवार की। पत्नी अभिलाषा गुप्ता नंदी प्रयागराज की मेयर हैं और उन्होंने अपना पूरा समय प्रयागराज के लोगों के लिए समर्पित कर रखा है। इस समय तो कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए वह दिन रात एक किए हुए हैं। पूरे शहर को सेनीटाइज करने का युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है  जिसका नतीजा है कि प्रयागराज अभी संक्रमण से दूर है। इसके अतिरिक्त एक बेटी व दो बेटों के पिता हैं। बेटी लंदन में अध्ययनरत है जोकि लॉक डाउन के चलते वहीं पर है इसके साथ ही एक बेटा टोरंटो में है जिसके पास दूसरा बेटा भी वहीं गया हुआ था वह भी लॉक डाउन के कारण वहीं फंस गया है। ऐसे में खुद के साथ ही पूरे परिवार को भी ऐसी जटिल परिस्थिति से लड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना और अपने दायित्वों का भी निर्वहन करना साथ ही अपने कर्मचारियों का भी ख्याल रखना, समाज को ऐसी समस्याओं से एक योद्धा की तरह लड़ते हुए जीने का सन्देश भी देता है।

अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नंदी की जो लॉक डाउन का पूरा पालन कर रहे हैं और इस समय का जिस तरह वह सदुपयोग कर रहे हैं वह न केवल आम जनमानस बल्कि ज़िम्मेदारों के लिए भी एक मिसाल बन पड़ा है। उन्होंने माली से लेकर सभी सफाई कर्मचारियों को छुट्टी दे दी है और जो लोग उनके साथ हैं, वह आवास पर ही साथ रहते हैं। नवमी पर उन्होंने कन्या भोज में भी लॉक डाउन का पूरा ख्याल रखा। कन्याओं के लिए उसी नए शाल का आसन बना दिया जो उन्हें सम्मान में मिले थे। उन्होंने  सेनेटाइजर का इस्तेमाल करते हुए कन्याओं के पैर धुलवाय और परम्परात रूप से उनकी पूजा कर दक्षिणा और उपहार भेंट किया। खास बात यह रही कि यह कन्यायें उनके ड्राइवर, होमगार्ड आदि की बेटियां ही रहीं। इस मौके पर उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा और कन्याओं को दूर दूर बिठा कर भोग लगाया। 

 श्री गुप्ता हँसते हुए कहते हैं कि मेरी बेटी लन्दन में, दोनों बेटे टोरेंटो में और पत्नी प्रयागराज में….. देखिए कितना सोशल डिस्टेंस परिवार में बना रखा है। पूरा पालन सोशल डिस्टेंसिंग का किया जा रहा है। आपको बता दें कि विश्व भर में जहाँ लोग कोरोना वायरस के भय से जूझ रहे हैं तो वहीं लन्दन में उच्च शिक्षा के लिए गईं बेटी जान्हवी और टोरेंटो में रह रहे दोनों बेटों के लिए चिंतित होना एक पिता के लिए लाज़मी है। ऐसे समय में भी श्री गुप्ता और उनकी मेयर पत्नी जो कि लखनऊ में न होकर प्रयागराज में हैं एक मिसाल के तौर पर सामने आये हैं। वह बताते हैं कि बेटी जिस हॉस्टल में रहती थी वहाँ से सभी अपने घरों को चले गए हैं अब वह अकेले रह गईं है। ऐसे में प्रतिदिन मैं, पत्नी, बेटी और बेटों से एक साथ वीडीओ कॉन्फ्रेंसिंग से बात करते हैं ताकि वह खुद को अकेला महसूस न करे और उसे ऐसे मुश्किल हालातों से लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और मानसिक रूप से तैयार करते हैं। यहाँ बता दें कि श्री गुप्ता जहाँ दूसरी बार मंत्री पद संभाल रहे हैं तो वहीं उनकी पत्नी भी दूसरी बार प्रयागराज कि मेयर हैं।

अपने बेटों और बेटी को दी खुद खाना बनाने की सलाह 

उन्होंने बताया कि दुनिया भर में लॉक डाउन को देखते हुए बेटी और बेटों को भी सलाह दी है कि खाना खुद ही बनाओ दाल, चावल, राजमा आदि खरीद कर रख लो। यह सामान ख़राब भी नहीं होता और खुद ही खाना बनाओ घर पे रहो होटल से मत मंगाओ। खुद खाना बनाओगे तो समय भी कट जायेगा। 

खुद ही तली पूड़ियां

नवरात्र का नौ दिन व्रत रखने वाले श्री गुप्ता ने कन्याओं के लिए खुद ही पुड़ियां तलीं और भोग का सारा सामान भी खुद ही तय किया। उन्होंने बताया कि खाना बनाने के लिए दिनेश को रखा है लेकिन मुझे खाना बनाने का और खिलाने का भी शौक है। इसलिए ऐसे समय में ज्यादातर खाना में खुद ही बना लेता हूँ । नवमी पर तो कन्या के साथ उनको भी भोजन कराया गया जो आवास पर ही रहते हैं। 

निपटा दी सारी चिठ्ठी 

श्री गुप्ता ने बताया कि जबसे लॉक डाउन हुआ है तभी से फाइलों के साथ ही उन तमाम चिट्ठियों को भी निपटा रहा हूँ जिनका जवाब देना था। ये चिट्ठियां आम जनता की समस्याओं से सम्बंधित थीं। कुछ के लिए डीएम, एसएससी, एसपी को निर्देशित किया तो कुछ बलिया, आजमगढ़ आदि जिलों से थी तो उनका जवाब तैयार किया। दो तीन दिन लगकर करीब 600 से 700 चिट्ठियों का निपटारा किया। साथ ही 31मार्च से पहले मंत्रालय की फाइलों का भी निपटारा किया।