• सभी कार्यालयों में अंतरिक परिवाद समिति गठित करना अनिवार्य
  • 4 सदस्यों की समिति में 50  प्रतिशत होगी महिलाओं की भागीदारी
  • एक सदस्य महिलाओं के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन का होगा 

(लखनऊ/VMN) आए दिन वर्किंग वूमेन के साथ होने वाले लैंगिक उत्पीड़न पर तत्काल  रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी नजर टेढ़ी कर ली है। केंद्र सरकार ने सख्त निर्देश दिए हैं कि  केंद्रीय व राज्य के साथ-साथ रेट कॉरपोरेट, निजी संस्थानों एवं शिक्षण संस्थानों एक कार्यालयों में एक आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाए जो महिलाओं के प्रति होने वाले  लैंगिक उत्पीड़न पर नजर रख उसको रोक सकें।

केंद्र सरकार ने प्रावधान किया है कि  ऐसे कार्यालयों में जहां महिलाएं काम करती हैं वहां पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाए। इसमें सदस्य होंगे जिसमें 50 प्रतिशत महिलाओं का प्रतिनिधित्व होगा इसके साथ ही इस समिति में एक सदस्य महिलाओं के लिए कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठन का प्रतिनिधि होगा। इस संबंध में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह प्राथमिक के साथअंतरिक परिवाद समिति का गठन ऐसी समस्त कार्यालयों में कराए जहां पर महिलाएं काम करती हैं। के साथ ही अगर कोई गलत आरोप लगाते हुए शिकायत करता है तो उसके खिलाफ भी करवाई की जाएगी।  

मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम की अध्यक्षता में महिला एवं बाल विकास विभाग उत्तर प्रदेश एवं नव्या संस्था के सहयोग से मंडलायुक्त कार्यालय सभागार में महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम पर एक दिवसीय मंडलीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। मंडलायुक्त ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) नियम 2013 के अनुपालन में समस्त केंद्रीय एवं राज्य सरकार के कार्यालयों के साथ कारपोरेट, निजी संस्थाओं एवं शिक्षण संस्थानों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन करना सभी नियोक्ताओं के लिए अनिवार्य है।

उन्होंने बताया कि आंतरिक परिवाद समिति की रिपोर्ट पर जिलाधिकारी के नेतृत्व वाली स्थानीय परिवादा समिति द्वारा जांच करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि या विदित हो कि जहां यौन उत्पीड़न की सच्ची शिकायत के आधार पर दोषी व्यक्ति को सजा का प्रावधान है वहीं यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत पाए जाने पर उक्त महिला को दंडित करने का भी प्रावधान है उन्होंने बताया कि यदि शिकायत झूठी पाई जाती है तो शिकायत समिति जिला अधिकारी या उनके वर्तमान नियोक्ता द्वारा शिकायतकर्ता के विरुद्ध दण्डनीय कार्यवाही की संस्तुति कर सकती है। उन्होंने कहा कि कार्य स्थलों पर महिलाओं के प्रति किसी प्रकार का भेदभाव करना किसी भी प्रकार का कार्य व्यवहार जो अपमानजनक हो या यौन उत्पीड़न का समर्थन करे दंडनीय अपराध है। इस एक्ट का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराए जाए जिससे कि कार्यस्थल पर महिलाओं का सम्मान हो। उन्होंने उप निदेशक महिला कल्याण एवं बाल विकास से कहा कि नव्या संस्था व अन्य समाजसेवी संस्थाओं तथा जनपदों में कार्यरत महिला अधिकारियों के सहयोग से जनपदों में कार्यशाला आयोजित करायी जायें तथा सरकारी कार्यालयों, निजी संस्थाओं व शिक्षण संस्थानों में जाकर लोगों को जागरूक किया जाय। इसमें संयुक्त विकास आयुक्त श्रीकृष्ण त्रिपाठी, उपनिदेशक महिला कल्याण एवं बाल विकास सर्वेश पाण्डेय, नव्या संस्था की अध्यक्ष डॉ स्वाती सक्सेना सहित मंडल के समस्त जनपदों के विभिन्न विभागों की महिला अधिकारी उपस्थित थी।