विक्रम साराभाई जन्म शताब्दी कार्यक्रम 6 फरवरी से प्रयागराज में
- इसरो आयोजित कर रहा है जन्म शताब्दी कार्यक्रम\
- देश में हुए अविष्कारों से लोगों का कराया जाएगा परिचय
- विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार की होंगी प्रतियोगिताएं
- कार्यक्रम में अंतरिक्ष प्रदर्शनी भी रहेगी आकर्षण का केंद्र
- देश भर में आयोजित हो रहे हैं जन्म शताब्दी कार्यक्रम
Archana Sharma
(लखनऊ/VMN) भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले डॉ. विक्रम साराभाई की जन्म शताब्दी पूरे देशभर में मनाई जा रही है। इस संबंध में इसरो द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन देश भर मे किया जा रहा है ताकि विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि विकसित की जा सके और आम जनता को देश में हुए अविष्कार व अनुसंधान की जानकारी भी दी जा सके। इसलिए कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के साथ ही विशिष्ट अंतरिक्ष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें जनसामान्य का प्रवेश निशुल्क रखा गया है। यह कार्यक्रम प्रयागराज में 6 से 9 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा।
कार्यक्रम का आयोजन इसरो दूरमति, अनुवर्तन एवं आदेश संचार जाल लखनऊ एवं भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद देवघाट झलवा प्रयागराज उत्तर प्रदेश में किया जाएगा। चार दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत 6 फरवरी से होगी जिसका समापन 9 फरवरी को होगा कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. पीवी वेंकट कृष्णन, निदेशक सीबीपीओ इसरो मुख्यालय बंगलुरु द्वारा किया जाएगा। इस मौके पर बतौर विशिष्ट अतिथि प्रो. (डॉ ) डॉक्टर पी. नागभूषण निदेशक भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद और विशेष अतिथि डॉ वी. वृंदा, उपनिदेशक इस्ट्र्रैक बंगलुरु उपस्थित रहेंगे। प्रयागराज में आयोजित जन्म शताब्दी कार्यक्रम में विभिन्न प्रतियोगिताओं व कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसमें इसरो वैज्ञानिकों के साथ परस्पर संवाद चर्चा श्रंखला, श्रव्य दृश्य प्रदर्शन, वाद-विवाद, आशु भाषण, चित्रकारी, विज्ञान प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया जा रहा है।
आओ जाने डॉ साराभाई को…
डॉ विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद शहर में हुआ था। आपको भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। वह एक महान संस्थापक थे। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अनेक संस्था स्थापित की थी। भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद की स्थापना में उनकी अहम भूमिका रही है।
वह परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष थे। उन्होंने अतीरा ई सी आई एल, दर्पण अकादमी जैसे उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की। उन्होंने भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की स्थापना भी उनकी एक महान उपलब्धि है। विज्ञान शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार में डॉक्टर साराभाई की विशेष रुचि थी उनके इसी दृष्टिकोण के प्रचार प्रसार के लिए ही उनकी जन्म शताब्दी कार्यक्रम का आयोजन विभिन्न शहरों में किया जा रहा है।
कार्यक्रम की झलकियां…
6 फरवरी: 6 फरवरी को सुबह 10:00 से 12 बजे कार्यक्रम का उद्घाटन होगा व अंतरिक्ष प्रदर्शनी की शुरुआत होगी जिसका समापन 9 फरवरी को होगा। तत्पश्चात हिंदी व अंग्रेजी में वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा जिसका विषय ‘तकनीकी उत्थान मानव प्रगति के लिए वरदान है’ रखा गया है। प्रतियोगिता में कक्षा 6 से 12 तक के छात्र-छात्राएं हिस्सा ले सकेंगे। इसी के साथ रचनात्मक कहानी लेखन का भी आयोजन किया गया है जिसमें प्रतिभागियों को एक फोटो प्रदर्शित की जाएगी, जिस पर तत्काल कहानी लेखन करना होगा। इस प्रतियोगिता में स्नातक, परास्नातक, पीएचडी विद्यार्थी व स्टाफ हिस्सा ले सकेंगे।
7 फरवरी: अंतरिक्ष प्रदर्शनी के साथ ही लोगों को इसरो के वैज्ञानिक के साथ परस्पर संवाद आत्मक चर्चा श्रंखला. इस मौके पर आशु भाषण (extempore speech ) का भी आयोजन हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में होगा। इसमें कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थी हिस्सा ले सकेंगे। इसी दिन स्केचिंग व पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन होगा जिसका विषय अंतरिक्ष में भारत रखा गया है। प्रतियोगिता में प्राइमरी कक्षा के साथ ही कक्षा 6 से 12 के बच्चे हिस्सा ले सकेंगे। यहॉँ प्रतिभागियों को ड्राइंग सीट दी जाएगी लेकिन कलर साथ में लाना होगा।
8 फरवरी: अंतरिक्ष प्रदर्शनी, ए वी शो के साथ ही विदाई भाषण व प्राइज़ वितरण का आयोजन किया जाएगा।
9 फरवरी: ए वी शो के साथ ही तत्कालिक प्रतियोगिता के आयोजन के साथ ही कार्यक्रम का समापन होगा।
आशु भाषण के विषय
- विक्रम साराभाई एक महान संस्था संस्थापक
- अंतरिक्ष प्रोग्राम के जनक
- भारत के विकास में योगदान
- भारत के परमाणु कार्यक्रम में योगदान
- इसरो का चंद्रयान मिशन
- इसरो का मंगलयान मिशन
- इसरो की सुदूर संवेदन क्षेत्र में उपलब्धियां
- भारत में उपग्रह संचार का महत्व
- भारत की स्वदेशी उपग्रह आधारित नौवहन प्रणाली
- भारत की महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना