• सीएमएस में चल रहा है यह शिविर
  • 13 देशों के बच्चे हुए हैं इसमें शामिल
  • एक माह तक चलता है यह बाल शिविर

Archana Sharma Shukla

(लखनऊ/VMN) नमस्ते, आप कैसे हैं… मुझे भारत पसंद है,… यहां का खाना बहुत स्वादिष्ट होता है…. यहां के लोग बहुत अच्छे होते हैं…. उनमें दूसरों की बातें समझने के लिए भावनाएं होती हैं….. अच्छा तो अब शुभ रात्रि….. यह सारी बातें आप जब किसी हिंदी भाषिक से सुनते हैं तो बिल्कुल ही आम लगती हैं मगर जब आप इसी हिंदी को किसी जापानी कैनेडियन या किसी दूसरे विदेशी के मुंह से सुने तो एक बार यह आपके मन में जरूर कौध जाएगा कि इतनी शुद्ध हिंदी तो वही बोल पाएगा जिसे या तो हिंदी से प्यार होगा या फिर भारत से। तो हम आपको यह बता दें कि यह वह विदेशी हैं जो भारतीय संस्कृति को जानने समझने के लिए न केवल एक-दो दिन बल्कि पूरा माह सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) कानपुर रोड में बिताते हैं और यहां की बोली भाषा रहन-सहन व्यवहार आदि को आत्मसात कर हमारी संस्कृति को अपने देश ले जाते है, इसी के साथ अपने देश के भी जानकारी और रहन सहन के बारे में अपनी संस्कृति के बारे में हमारे यहां के लोगों को भी जानकारी देते हैं ताकि विश्व पटल पर पूरे देश में वह देश के लोगों में मैत्री भाव उत्पन्न हो सके।

कार्यक्रम का आयोजन सिटी मांटेसरी स्कूल लखनऊ द्वारा किया जा रहा है जिसका नाम 27वा अंतर्राष्ट्रीय बाल शिविर है जिसमें ब्राजील, कनाडा, कोस्टा रिका, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इटली, मैक्सिको, नार्वे, स्वीडन, थाईलैंड, अमेरिका और भारत के बाल प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। वसुधैव कुटुंबकम की भावना को साकार करने के उद्देश्य से आयोजित इस शिविर में 13 देशों के 11 से 12 वर्ष आयु के चार चार बच्चों के दल अपने-अपने ग्रुप लीडर के नेतृत्व में प्रतिभाग कर रहे हैं जो 1 महीने तक साथ साथ रहकर भारत की संस्कृति, सभ्यता, खानपान व रीति-रिवाजों को जानने समझने की कोशिश कर रहे हैं। इस शिविर की सुव्यवस्था बनाये रखने एवं प्रतिभागी छात्रों के बीच आपसी संवाद स्थापित करने के लिये 16 से 17 वर्ष के जूनियर काउंसलर भी शामिल हुए हैं। शिविर के दौरान बच्चे विश्व परिवार की बड़ी ही सुंदर झलक प्रस्तुत कर रहे हैं। एक साथ एक ही टेबल पर खाना, साथ में खेलना, एक को किसी भी चीज में समस्या होने पर दूसरे की झट मदद कर देना।  एक दूसरे की मातृभाषा को समझना और सीखने की पूरी कोशिश करना आदि क्रियाएं बच्चों में मित्रता की भावना को कूट-कूट कर भरी है। इसी के साथ सभी अपने अपने देशों के गीत संगीत को भी एक दूसरे के साथ मिलकर सीख रहे हैं और गाने की पुर्ण कोशिश कर रहे हैं। इस दौरान सभी में जो दोस्ती और सद्भावना देखने को मिल रही है।

इन कार्यक्रमों का उद्देश्य जय जगत, विश्व बंधुत्व, वसुधैव कुटुंबकम के सपने को साकार करना है : डॉ जगदीश गांधी

हमारे स्कूल के द्वारा पूरे वर्ष ऐसे ही अंतरराष्ट्रीय कार्य कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है जिसमें देश विदेश कीप छात्र-छात्राओं और बड़ों को भी शामिल किया जाता है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य जय जगत विश्व बंधुत्व वसुधैव कुटुंबकम के सपने को साकार करना है और बच्चों में इस तरह के आयोजनों से न केवल मित्रता बल्कि हम ज्ञान का भी विकास करने का काम करते हैं। शिविर में सर्व धर्म प्राचार्य धर्म प्रार्थना कर आते हैं विश्व को एक बनाने के लिए बच्चों के मन में विश्व एकता एवं भाईचारे का बीज बोते हैं सभी को एक दूसरे की संस्कृति सभ्यता परंपराओं और रीति-रिवाजों का मान सम्मान करने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि शुरू से ही बच्चों के मन में आपसे प्रेम भावना को भरा जा सके इससे आने वाले समय में कभी भी विश्व पटल पर किसी भी तरह की शत्रुता देखने को नहीं मिलेगी हमारा प्रयास पूरे विश्व को आपसे मित्रता एवं शांति के धागे में पिरोना है।