Archana Sharma/ Bureau Head

Sudhakar Bajpai/ Photo Journalist

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर

वन्देमातरम न्यूज़ का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल

अनादिकाल से महिलाओं के सशक्तिकरण पर चर्चाएं होती रही हैं। ऐसा कोई युग नहीं रहा जब महिलाओं ने अपने युग में इतिहास न रचा हो। भारत माता की यह धरती हमेशा से महिलाओं के योगदान से अभिभूत रही है। यह अलग बात है कि ममता के आंचल को अपने में समेटे भारत मां की इन माताओं ने हमेशा दया का भाव रखा है लेकिन भारत के रक्त अंश से सींचित इनकी माताओं ने ऐसी रक्त अंशों को भी जन्म दिया है जिन्होंने  अपनी प्रतिभाओं से इस धरती का नाम रोशन किया है। भारत माता की इन माताओं का यह देश हमेशा ॠणी रहेगा।  

आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसी ही देश की एक बेटी से, एक माता से जिन्होंने अपने जीवन में विभिन्न चुनौतियां को अपने बुलंद इरादों से अपने कदमों में झुकने को मजबूर कर दिया वह आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं गुजरात की पूर्व सीएम एवं वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल की। 

न कभी डरीं, न कभी सहमीं चलना पड़ा हो अकेले तो भी न कभी लड़खड़ाईं।  जी हां यही कुछ बुलंद इरादों की मंजिलों को हासिल करने वाली उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला व राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल से अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के खास मौके पर वन्देमातरम न्यूज़ का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू

 

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सभी बने kankuकी कन्या…. 

राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन पटेल ने दहेज़ प्रथा का विरोध करते हुए कहा कि मैंने आपने परिवार में सिर्फ पांच लोगों की बारात के साथ शादी करवाई है। बस एक तिलक किया और बहु घर ले आये। इस प्रथा को kanku की कन्या कहते हैं। इसके साथ ही उनका कहना है कि  सबसे पहले हम सबको यह निर्णय करना होगा कि हम अपने बेटों का विवाह दहेज रहित करेंगे तभी बेटियों के विवाह में दहेज न देने की बात कह पाएंगे।

घर से ही शुरु किया बाल विवाह का विरोध…. 

सामाजिक कार्यों के प्रति वह कितनी गंभीर थी इसका अंदाजा इसी से लगता है कि उन्होंने आपने अहमदाबाद स्थिति घर में हो रहे बाल विवाह का विरोध कर दिया था। उनके बड़े भाई का बेटा जिसकी उम्र 17 साल थी उसका विवाह परिवार वालों ने घर कि कुछ समस्याओं के चलते तय कर दिया, जिसका उन्होंने भरपूर विरोध किया और पुलिस के सहयोग से विवाह भी रुकवाया। इससे समाज में ये प्रसारित प्रचारित हो गया की अगर बाल विवाह किया तो वह आ जाएगी।

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माता पिता ज़रूर दें ज़रूरी सलाह 

इस मौके पर राज्यपाल ने माता पिता  को सलाह देते हुए कहा की बेटियों के लिए घर पर भय का माहौल न बनायें। उनको हर तरह की समस्या से लड़ने के लिए तैयार करें। उन्होंने कहा की ज़रूरत पड़ने पर माता पिता बेटियों को ज़रूरी सलाह दें। गलत काम पर डांटे भी मगर प्रतिभा को आगे बढ़ने से न रोकें। बहु और बेटी में सामंजस्य बिठायें। 

कहां पहने कैसे कपडे़ 

राज्यपाल ने सलाह दी की बेटियों को कहां कैसे कपडे़ पहनने चाहिए और कहा कैसे व्यव्हार करें, यह बखूबी आना चाहिए और अगर कहीं पर किसी का व्यवहार आपके प्रति ठीक न लगे तो उसका जवाब देने के लिए आप में बोल्डनेस भी होनी चाहिए। घर में बेटियों को दब कर रहने की नहीं बल्कि भय मुक्त रहने की सलाह देनी चाहिए। 

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कुछ इस तरह करती थी वह अपनी समस्याओं को हल…. 

आपने जीवन की कुछ घटनाओं का ज़िक्र करते हुए राज्यपाल ने बताया कि उनके जीवन में भी कई घटनायें आई लेकिन उन्होंने सभी को हल करते हुए आगे बढ़ीं। उन्होंने बताया की 8 किलोमीटर पैदल चल कर स्कूल जाते थे। तब लाइट नहीं आती थी इसलिए दिन में ही पढ़ लिया करते थे। उनके घर में पशुपालन का काम होता था.। तब उनके घर पर 50 पशु थे। सभी को चारा डालना और साफ सफाई करने का काम भी करते थे और सभी कार्य सुचारु तरीके से करते थे। किसी एक काम की वजह से दूसरा काम प्रभावित नहीं होता था। उन्होंने बताया की वह जहां भी जिस स्कूल में पढ़ीं अकेली बालिका होती थीं और सभी लड़के होते थे लेकिन कभी उनको डर नहीं लगा।

घटना का डटकर करें मुकाबला…

उन्होंने बताया की वह इस डर से बाहर घटी किसी भी घटना का ज़िक्र नहीं करती थीं कि फिर उनका बाहर निकलना बंद कर दिया जायेगा। इसलिए किसी भी तरह की घटना का सामना वह खुद कर लेती थीं और उसका हल भी निकाल लेती थीं। 

ऐसे प्रवेश हुआ राजनीति में

उन्होंने बताया कि उनके साथ दो तीन घटनायें हुईं जिससे उनका जीवन पूरी तरह बदल गया और उनका प्रवेश राजनीति में हुआ उनमें से ही एक घटना का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि 1984, 85, 86 में गुजरात में अकाल पड़ा था, ज़रा भी बारिश नहीं हुईं थी। तमाम अख़बारों में पशुओं के मरने कि खबर पढ़ी, लोगों को भूखों मरते हुए देखा। तब कांग्रेस का शासन था और भाजपा विपक्ष में थी और उसने न्याय यात्रा निकली थी जिसे देखने अपनी छोटी बेटी के साथ गई थी। यहाँ पर ही मेरा परिचय केशु भाई पटेल और नरेन्द्र भाई मोदी से हुआ। इससे पहले एक घटना यह हुई कि मैं जिस स्कूल की प्रधानाध्यापक थी वहां से 200 छात्राओं को लेकर नमदा डेम देखने गईं थी। उनमें से दो लड़कियां डेम में गिर पड़ीं थीं। मुझे तैरना नहीं आता था फिर भी अपनी जान की परवाह किये बगैर उनको निकाला। इसकी खबर अखबारों में लिखी गईं जिसकी जानकारी केशु भाई पटेल के पास थी। उन्होंने मुझसे राजनीति में आने को कहा। चूंकि इस क्षेत्र की मुझे कोई जानकारी नहीं थी इसलिए पहले तो मैंने मना कर दिया। फिर उन्होंने कहा कि अगर आप जैसी पढ़ी लिखी महिलाएं आगे नहीं आएंगी तो समाज को कैसे नई दिशा दी जाये। इस तरह मेरा राजनीति में आना हुआ। यह सही है कि अगर राजनीति में पढ़े लिखे लोग नहीं आएंगे तो जो बदलाव हम चाहते हैं वह कैसे होगा।