• मुंबई, अहमदाबाद सहित दिल्ली के इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन 

मुंबई/ दिल्ली (एजेंसी)| झारखंड में जैन तीर्थस्थल सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित करने को लेकर जैन समुदाय के बीच भारी आक्रोश है। सरकार के फैसले को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है। इस फैसले के विरोध में जैन समुदाय के लोग रविवार को बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे और आपना विरोध दर्ज कराया। जैन समुदाय के लोगों ने मुंबई, अहमदाबाद और दिल्ली के इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली के प्रगति मैदान और इंडिया गेट पर बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग जमा हुए और इस फैसले को वापस लेने की अपील की।

ऐसे शुरू हुआ विरोध
केंद्र सरकार की ओर से क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर इसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। झारखंड सरकार ने जिला प्रशासन की अनुशंसा पर यह फैसला लिया। इस फैसले के बाद जैन समुदाय नाराज हो गया। बवाल तब और बढ़ गया जब क्षेत्र में कुछ दिन पहले शराब पीते एक युवक का वीडियो वायरल हो गया। जैन समुदाय के लोगों ने कहा कि राज्य सरकार के क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद से धर्म में आस्था नहीं रखने वालों और मांस-मदिरा का सेवन करने वालों की भीड़ पहाड़ पर बढ़ी है।

केंद्र ने घोषित किया था इको सेंसिटिव जोन
दरअसल, फरवरी 2018 में तत्कालीन झारखंड सरकार ने इस क्षेत्र को ईको-सेंसिटिव जोन घोषित करने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने साल 2019 में सम्मेद शिखरजी को इको सेंसिटिव जोन यानी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्र घोषित कर दिया था। जैन समुदाय के लोगों का कहना है कि यह क्षेत्र उनके लिए हिमालय जैसा पवित्र स्थल है। क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण के लिए अवैध खनन और वृक्षों की कटान को रोका जाना चाहिए। पहाड़ के संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को कदम उठाना चाहिए।

आस्था पर चोट पहुंचाने का आरोप
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में जैन समाज का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति के पास ज्ञापन सौंपने राष्ट्रपति भवन पहुंचा। प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि झारखंड सरकार ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित करके जैन समाज की भावनाओं को चोट पहुंचाई है। राज्य सरकार का यह फैसला जैन समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थाल घोषित करने से इस तीर्थस्थल को भारी नुकसान होगा । प्रदर्शनकारियों ने कहा कि झारखंड सरकार को तुरंत इस फैसले को वापस लेना चाहिए।