नवरात्र के आठवें दिन मां शक्ति के अष्टम रूप महागौरी की पूजा का है विधान

नवरात्र के आठवें दिन माँ शक्ति के आठवें स्वरुप कि पूजा अर्चना करने का विधान पुराणों में वर्णित है। माँ के इस अष्टम रूप को महागौरी का नाम दिया गया है। माँ के सभी वस्त्र और आभूषण यहां तक कि वाहन भी हिम के समान सफेद या गौर वर्ण वाला वृषभ अर्थात बैल है। वस्त्र और आभूषण श्वेत होने के कारण ही माँ को श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है। माँ की चार भुजाएं हैं, एक हाथ में डमरू और एक हाथ में त्रिशूल है तथा अन्य दो हाथ अभय और वर मुद्रा में हैं। वह  मनुष्य की प्रवृत्ति को सत्य की ओर प्रेरित करके असत्य का विनाश करती है। माँ का यह स्वरूप भक्तों को अमोघ फल प्रदान करता है। माँ की उपासना से भक्तों के जन्म जन्मांतर के सभी पाप और कलंक खत्म हो जाते हैं और राह से भटके हुए भी सन्मार्ग पर आ जाते हैं। माँ की पूजा से कभी भी पाप,  संताप, निर्धनता, दीनता और दुख पास नहीं आते। माँ की कृपा से साधक सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्य का अधिकारी हो जाता है। उसे अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। माँ के आशीर्वाद के बाद भक्तों के जीवन में किसी वस्तु की कमी नहीं रहती, जो महिलाएं प्रतिदिन माँ की पूजा श्रद्धा भाव से करती हैं। वह हमेशा सौभाग्यवती रहती है। कुंवारी कन्याओं को योग्य वर मिलता है तो पुरुष का जीवन सुख और ख़ुशी से भरा रहता है। इनकी पूजा से संतान की प्राप्ति होती है। 

 ऐसे करें मां को प्रसन्न

 श्वेत वस्त्र धारण किए हुए माता महागौरी भक्तों को पुत्र कि तरह स्नेह करती हैं। इनकी पूजा के बाद शहद कमलगट्टा और खीर से हवन करने से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। नवरात्र के आठवें दिन पूजा-अर्चना कर नारियल का भोग लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि इस दिन नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करने से हर प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं। महागौरी के पूजा करने के बाद पकवान,  मिठाई, हलवा आदि कन्याओं को दान में देना चाहिये। 

 

 

आरती 

जय महागौरी जगत की माया

जया उमा भवानी जय महामाया

हरिद्वार कनखल के पासा 

महागौरी तेरी वहां निवासा।। 

चंद्र कली और ममता अंबे 

जय शक्ति जय जय मां जगदंबे 

भीमा देवी विमला माता

कौशिकी देवी जग विख्याता।। 

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा 

सती हवन कुंड में था जलाया 

उसी धुएं ने रूप काली बनाया।।

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया 

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया

तभी माँ ने महागौरी नाम पाया

शरण आने वाले का संकट मिटाया।।

शनिवार को तेरी पूजा जो करता 

मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो

महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।