• वेरी गुड मॉर्निंग (VGMSceurity:Anti Theft & Women Safety)

  • औरैया की एक होनहार शोध छात्र ने विकसित किया सुरक्षा ऐप
  • महिलाओं, युवतियों व बच्चों के के लिए है बहुत ही उपयोगी
  • विभिन्न घटनाओं के मद्देनजर विकसित किया सुरक्षा ऐप

ARCHANA SHARMA

अगर आप दिन अथवा रात में सूनसान इलाके से गुजर रही हैं अथवा अपहरण जैसी किसी भी बड़ी घटना महसूस कर रही हैं…. तो अब आपको ज़रा भी डरने की ज़रूरत नहीं है  क्योंकि अब आपकी सुरक्षा के लिए आपके साथ आपके मोबाइल पर होगा आपका ‘दोस्त ऐप ‘ जो बस एक क्लिक में ही चंद मिनट में आपकी लोकेशन आपके परिजनों के साथ-साथ पुलिस तक भी पहुंचा देगा और समय रहते ही आप तक मदद पहुँच जाएगी। आप किसी भी अप्रिय घटना का शिकार होने से बच जाएंगी। इस “दोस्त ऐप” को बनाने का दावा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मालवीय सेंटर फॉर इन्नोवेशन इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (आईआईटी) में शोध कार्य कर रहे मृत्युंजय सिंह का है। उन्होंने इस ऐप का नाम वेरी गुड मॉर्निंग (VGMSceurity:Anti Theft & Women Safety) रखा है। इसे विकसित करने में करीब 13 से 14 महीने लगे हैं। इस कार्य में उनका सहयोग उनकी मित्र धारणा भार्गव ने किया है। इस ऐप की जानकारी देते हुए चंदौली औरेया के रहने वाले मृतुन्जय बताते हैं कि देश भर में युवतियों, महिलाओं व बच्चियों के साथ हो रही वीभत्स घटनाओं ने उनके मन को झंकझोर दिया और उन्होंने उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक ऐप बनाने की ठानी। अब आप सभी के सामने वेरी गुडमॉर्निंग ऐप (वीजीएम) के नाम से जाना जा रहा है। यह वीमेन सिक्योरिटी ऐप केवल महिलाओं के लिए ही नहीं इसका इस्तेमाल है सभी लोग इसका कर सकते हैं। मृत्युंजय ने बताया की इसे एक बार डाउनलोड करने के बाद डिलीट नहीं किया जा सकता है।

यूँ करेगा आपकी हेल्प ….. 

इस ऐप को मोबाइल में गूगल प्ले स्टोर से डाऊनलोड करना होगा, जिसमें आपकी लोकेशन (मैप का लिंक ) के साथ ही एक सन्देश ‘मेरी मदद करो मैं मुसीबत में हुँ ‘ भी पड़ा रहेगा। बस आपको मुसीबत के समय मोबाइल की पावर बटन को 3 सेकेण्ड में तीन बार दबाना होगा अथवा फ़ोन को शेक करना होगा। ऐसा करते ही आपकी लोकेशन के साथ ही सन्देश भी पुलिस कंट्रोल रूम व उन सभी लोगों तक पहुँच जाएगी जिन्होंने इस ऐप को अपने मोबाइल पे डउनलोड किया होगा। पुलिस अधिकारियों की जांच ने भी ऐप को हरी झंडी दिखा दी है। 

बचपन में भी विकसित कर चुके हैं गेम 

ज़ब बच्चों की उम्र खेलने की होती है तब मृतुन्जय ने एक गेम डेवलपमेंट किया था। वह बताते हैं कि उनके पिता किसान हैं लेकिन उन्होंने हमेशा उनकी इच्छा को पूरा किया, जिसका परिणाम यह हुआ की उन्होंने महज़ कक्षा 9 में ही एक गेम विकसित कर लिया था। उनके इस रुझान को देकते हुए पिता ने छत्तीसगढ़ से साइबर सिक्योरिटी आदि में पढ़ाई की और कई सालों तक रायपुर, भिलाई, दुर्ग, जगदलपुर, बीजपुर में पुलिस कन्ट्रोल रूम के लिए काम किया। 

कुछ यूं बन पड़ा है खास…

इस ऐप की एक खास बात यह भी है कि यह घटना स्थल से 9 किलोमीटर दूर तक उन सभी लोगों के मोबाइल पर संदेश भेज देगा जिन्होंने इसे डाउनलोड किया होगा ताकि आप तक जल्द से जल्द मदद पहुंच सके।