4 माह में दुष्कर्मी हत्यारे को फांसी की सजा
- विशेष न्यायाधीश पाक्सो अधिनियम / अपर सत्र न्यायाधीश ने सुनाई सजा
- 15 सितंबर 2019 को 6 वर्षीय बालिका की दुष्कर्म के बाद हुई थी हत्या
- पुलिस ने 6 दिन के अंदर साक्ष्य एकत्र कर कोर्ट में दाखिल किया था आरोप पत्र
(लखनऊ/VMN) विशेष न्यायाधीश पाक्सो अधिनियम/अपर सत्र न्यायाधीश 16 लखनऊ द्वारा मुकदमा दर्ज होने के 4 माह के अंदर दुष्कर्म आरोपी को फांसी की सजा सुना दी है। 15 सितंबर 2019 को लखनऊ के मोहल्ला वजीरबाग थाना सआदतगंज क्षेत्र से एक 6 वर्षीय बालिका का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म एवं हत्या का मामला दर्ज हुआ था जिसको लेकर सड़कों पर जम कर हंगामा भी हुआ था।
महज 4 माह के अंदर दुष्कर्म आरोपी को 6 वर्षीय बालिका का अपहरण कर दुष्कर्म एवं हत्या के मामले में फांसी की सजा को ऐतिहासिक रूप में देखा जा रहा है। आरोपी
ने बालिका की दुष्कर्म करने के बाद तेज धारदार हथियार से गला रेतकर हत्या कर दी थी। आरोपी को बालिका मामू कहकर करती थी। यह मामला 15 सितंबर 2019 का है। बालिका लखनऊ के मोहल्ला वजीरबाग थाना सआदतगंज क्षेत्र स्थित अपने घर पर थी उसके साथ उस समय उसकी नानी भी मौजूद थी। बालिका की मां शौच के लिए घर से बाहर गई हुई थी तभी बालिका के पिता के साथ काम करने वाला बबलू उर्फ राजू मिर्जा पुत्र बच्चन मिर्जा नि. गढ़ी पीर खान थाना ठाकुरगंज, लखनऊ उसके घर पर आया। उसने बालिका से पीने के लिए पानी मांगा लेकिन पानी घर में नहीं था इसलिए वह पड़ोसी के यहां से पानी लेकर आई और उसने बबलू को दे दिया। इसी दौरान बबलू की नियत खराब हो गई और वह बालिका को जबरन उठाकर ले गया। कम दिखने के कारण बालिका की नानी कुछ समझ न सकी। बालिका की मां जब शौच से वापस आई उसने मां से अपनी बेटी के बारे में पूछा। बालिका की बूढ़ी नानी ने बताया कि बबलू आया था शायद हो सकता है उसी के साथ गई हो। काफी देर तक बालिका के न लौटने पर उसकी मां ने अपने पति को सारे मामले से अवगत कराया। बालिका के पिता ने बबलू से संपर्क कर बेटी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसकी बेटी उसके साथ न जाकर वही उसके घर के बाहर खेल रही थी। वह उसको लेकर कहीं नहीं गया। बबलू स्वयं बालिका के पिता और घरवालों के साथ पूरे क्षेत्र में घंटों उसकी तलाश करवाता रहा। तभी बालिका के पिता को शंका हुई और उसने बबलू से उसके घर की तलाशी देने के लिए कहा। इस पर बबलू कुछ सक पकाया तो लेकिन मना न कर सका। बालिका के पिता ने पूरे घर की तलाशी ली लेकिन उसको कुछ भी वहां नहीं दिखा तभी उसकी निगाह अचानक तख्त के नीचे पड़ी। तख्त के नीचे उसने देखा कि कूलर की घास और ढक्कन के नीचे से दो टांगें दिख रही थी। उसने जैसे ही ऊपर से रखे कूलर के ढक्कन और घास को हटाया तो देखा उसकी बेटी का शव खून से लथपथ पड़ा था।
पुलिस ने तत्काल अभियुक्त बबलू उर्फ राजू मिर्ज़ा पुत्र बच्चन मिर्ज़ा नि. गढ़ी पीर खान थाना ठाकुरगंज की तत्काल गिरफ्तारी करते हुए उसके घर के अन्दर से अपहृत बालिका का शव बरामद कर लिया था। पुलिस की पूछताछ में बबलू उर्फ राजू मिर्ज़ा ने कबूल किया था कि उसने ही बालिका का अपहरण किया था और अपने घर पर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बालिका किसी से कुछ बताना न दे इस भय से उसने बालिका की गला रेतकर हत्या कर दी।
तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक लखनऊ रेंज एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लखनऊ ने 6 वर्षीय बालिका के अपहरण के पश्चात रेप व हत्या की जघन्य घटना को विशेष रूप से देखने और न्यायालय से आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा देखने के लिए पुलिस अधीक्षक नगर पश्चिमी विकास चन्द्र त्रिपाठी के नेतृत्व में क्षेत्राधिकारी बाजार खाला अनिल कुमार तथा प्रभारी निरीक्षक बाजारखाला महेश पाल सिंह को निर्देशित किया गया था।
पुलिस कमिश्नर लखनऊ सुजीत पांडेय ने बताया कि इस जघन्य मामले की विवेचना में वैज्ञानिक विधि से प्रभावी साक्ष्य एकत्र किए गए और मात्र 6 दिन में ही आरोप पत्र तैयार कर 21सितंबर 2019 को न्यायालय ने प्रस्तुत किए गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए अभियुक्त के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसको 12 अक्टूबर 2019 को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ( रासुका) में निरुद्ध कर दिया गया था। इस केस को उच्च प्राथमिकता लेते हुए अभियुक्त को सजा दिलाने हेतु न्यायालय में प्रभावी पैरवी करते हुए समयबद्ध रूप से सभी गवाहो का परीक्षण कराया गया। योजनाबद्ध रूप से विवेचना की कार्ययोजना तैयार करते हुए संकलित वैज्ञानिक साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत किए गए। विवेचना में घटना स्थल तथा मृत बालिका के शव से प्रदर्श संकलित किए तथा डीएनए मैच कराया गया जिसका FSL से सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुआ। इसी का नतीजा है कि महज 4 माह के अंदर आज 17जनवरी 2020 को इस जघन्य अभियोग में माननीय विशेष न्यायाधीश पाक्सो अधिनियम / अपर सत्र न्यायाधीश 16 लखनऊ द्वारा अभियुक्त को मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई गई है। श्री पांडेय ने बताया कि पुलिस महानिरीक्षक ने इस केस में लगी समस्त पुलिस टीम को ₹25000/= बतौर इनाम देने की बात कही है। पीड़िता के पिता का कहना है कि जिसको काम दिया उसी ने उनके साथ यह गलत काम किया। वह न्यायालय के दिए हुए फैसले से पूर्णतया संतुष्ट हैं।